tag:blogger.com,1999:blog-8605042281849712685.post4765256323312305590..comments2024-03-16T00:05:40.646-07:00Comments on मन की वीणा - कुसुम कोठारी। : मधु ऋतु मन की वीणाhttp://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-8605042281849712685.post-38962230787871716352019-01-11T23:41:09.097-08:002019-01-11T23:41:09.097-08:00जी सही सर बस यही कह रही है रचना मेरी आपकी विहंगम व...जी सही सर बस यही कह रही है रचना मेरी आपकी विहंगम व्याख्या से उत्साहित हुई मैं और मेरी लेखनी । <br />सादर आभार। <br />मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8605042281849712685.post-71477448777144203282019-01-11T23:38:24.593-08:002019-01-11T23:38:24.593-08:00आपके आने भर से ब्लाग पर मधु ऋतु आ जाती है रेनू बहन...आपके आने भर से ब्लाग पर मधु ऋतु आ जाती है रेनू बहन! सही कहा आपने पतझर अब बसंत के संकेत दे रहा है। आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और सराहना से सदा असीम सुखानुभुति होती है बहुत सा प्यार भरा आभार बहना ।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8605042281849712685.post-46541296546721629562019-01-11T23:33:59.085-08:002019-01-11T23:33:59.085-08:00जी सादर आभार इस सम्मान के लिये ब्लॉग बुलेटिन में अ...जी सादर आभार इस सम्मान के लिये ब्लॉग बुलेटिन में अपनी रचना देखना सुखद अनुभव है ।<br />हृदय तल से आभार। मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8605042281849712685.post-7142097073100217902019-01-11T19:17:04.232-08:002019-01-11T19:17:04.232-08:00बहुत सुन्दर कुसुम जी. ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा यही है - कह...बहुत सुन्दर कुसुम जी. ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा यही है - कहीं धूप तो कहीं छाँव, कहीं मधु ऋतू तो कहीं पतझड़ ! गोपेश मोहन जैसवालhttps://www.blogger.com/profile/02834185614715316752noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8605042281849712685.post-8585283558052693092019-01-11T09:55:38.444-08:002019-01-11T09:55:38.444-08:00प्रिय कुसुम बहन -- मधु ऋतू के आगमन की आहत है और आप...प्रिय कुसुम बहन -- मधु ऋतू के आगमन की आहत है और आपकी लेखनी का बसंत भी खिल उठा है | काव्य चित्रात्मकता के लिए में आपकी सदैव प्रशंसक हूँ | <br />फूल झरते हैं खिल के, पंक्षी फिर भी गाते<br />गिरा घोंसला पक्षी का फिर भी फूल मुस्काते! कितनी सुहानी बात लिखी आपने | फूलों को मुस्काना है बस | संसार में आने जाने का चलन पुराना है | सार्थक रचना सखी | सस्नेह शुभकामनायें | रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.com