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Friday 10 August 2018

खून था शहीदों का

लहू था शहीदों का

कण कण रज रंग गया
लहू था शहीदों का
कौन चुका पायेगा ऋण
मातृभूमि के सपूतों का
अब मिट्टी में वो उर्वरकता नही
जो ऐसे सपूत पैदा कर दे
अब प्रतिष्ठा के मान दण्ड
बदल रहे हैं प्रतिपल
देश भक्ति  अब बस
है बिते युग की बातें
परोसी हुई मिली आजादी
कौन कीमत पहिचाने
अपना दर्द सर्वोपरि है
दर्द देश का कौन जाने
वर्षों से एक भी प्रताप
सा योद्धा नही देखा
ना राज गुरु ना भगत सिंह
ना कोई सुख देव दिखा
ना आजाद ना पटेल
ना कोई सुभाष दिखा
और बहुत थे नामी गुमनामी
अब कदाचित ऐसे महा वीर
दृष्टि गोचर  होते नही
ये धरा का दुर्भाग्य है
या है कोई संकेत कयामत का
सब कुछ समझ से बाहर है
कोई राह सुलझी नही।
अब मिट्टी मे वो उर्वरकता रही नही।
                 
                कुसुम कोठारी।

8 comments:

  1. वर्षों से एक भी प्रताप
    सा योद्धा नही देखा
    ना राज गुरु ना भगत सिंह
    ना कोई सुख देव दिखा
    ना आजाद ना पटेल
    ना कोई सुभाष दिखा वाह बहुत ही सुन्दर रचना सखी

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    1. आभार सखी आपकी शुक्रगुजार रहूंगी सदा।

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  2. कई बार समय भी आपात स्थिति से गुज़रता है पर देश समाज के लिए हर पल जॉन कोई उठता है ... देश के सैनिक भी ऐसा करते हैं ... बलिदान देते हैं ...
    बहुत भावपूर्ण रचना ...

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    1. सादर आभार सही कहा आपने बहुत बार हम पूर्वाग्रहों मे फसे रहते हैं और समानांतर चलती उपलब्धियों और नियामत ओं को नजर अंदाज करते जाते हैं। ये एक दृढ सत्य है कि देश की रक्षार्थ जो जवान रात दिन जुझते हैं वो हमारे शांति और आराम दायक जीवन का वरदान है सदैव सदा।
      पुनः आभार ।

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 13 अगस्त 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय।
      जी जरूर उपस्थित होऊंगी।

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  4. बहुत सा आभार शकुंतला जी ।

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  5. अब मिट्टी में वो उर्वरकता नही
    जो ऐसे सपूत पैदा कर दे
    अब प्रतिष्ठा के मान दण्ड
    बदल रहे हैं प्रतिपल
    देश भक्ति अब बस
    है बिते युग की बातें!!!!!!!!!!!!!
    वाह !!!सखी बहुत ही मर्मस्पर्शी बात लिख दी आपने | ये प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है कि अब क्यों ऐसे लोग पैदा नहीं होते या फिर देश प्रेम के लिए भावनाएं क्यों उमड़ती??????? बेहतरीन लेखन के लिए बहुत शुभकामनायें |

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